नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) 2022-23 के लिए वार्षिक बजट 12 अक्टूबर से तैयार करेगा. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने अगले बजट वर्ष की तैयारी करने जा रही है. अगले वर्ष के बजट में कई ऐसे विषय जैसे मांग सृजन, रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को निरंतर 8 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी के रास्ते पर रखने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा. यह बजट मोदी सरकार 2 बनने के बाद का चौथा बजट और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का भी चौथा बजट होगा.
क्या कहा गया है सर्कुलर में?
आर्थिक मामलों के विभाग के बजट प्रभाग के 16 सितंबर 2021 की तारीख वाले बजट सर्कुलर (2022-23) के अनुसार, बजट पूर्व/आरई (संशोधित अनुमान) बैठकें 12 अक्टूबर 2021 से शुरू होंगी. इस सर्कुलर के अनुसार, सभी वित्तीय सलाहकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिशिष्ट एक से सात में निहित इन बैठकों से संबंधित जरूरी विवरण यूबीआईएस (केंद्रीय बजट सूचना प्रणाली) के आरई मॉड्यूल में दर्ज किए गए हैं.
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नवंबर दूसरे हफ्ते तक चलेगा प्री-बजट बैठक
व्यय सचिव द्वारा अन्य सचिवों और वित्तीय सलाहकारों के साथ चर्चा पूरी करने के बाद 2022-23 के बजट अनुमानों (BE) को अस्थायी तौर पर अंतिम रूप दिया जाएगा. इसमें कहा गया कि बजट पूर्व बैठकें 12 अक्टूबर से शुरू होंगी और नवंबर के दूसरे सप्ताह तक जारी रहेंगी. सर्कुलर के अनुसार, इस वर्ष की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए, अंतिम बजटीय आवंटन का आधार समग्र वित्तीय स्थिति होगा और यह मंत्रालय/विभाग की अवशोषण क्षमता के अधीन होगा.
1 फरवरी को पेश होगा आम बजट
आपको बता दें कि 1 फरवरी, 2022 को यूनियन बजट 2022-23, पेश किया जाएगा. यानी सरकार अपने ब्योरे को पेश करेगी. गौरतलब है कि फरवरी के अंत में बजट पेश करने की ब्रिटिश कल के परंपरा को अब समाप्त कर दिया है. दरअसल, 1 फरवरी, 2017 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार बजट पेश किया था. बजट को पहले पेश करने के साथ ही मंत्रालयों को अब बजट में आवंटित उनके फंड को वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल में ही दे दिया जाता है. यानी अब पुरानी परंपरा खत्म कर दी गई.
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बजट पर है सबकी नजर
केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को 6.8 प्रतिशत पर काबू में रखने का लक्ष्य धीरे-धीरे पूरा कर रही है. लेकिन सरकार ने जिस तरह के विकास की कल्पना की है उसे स्वरूप देने के लिए हर क्षेत्र में बजट को बढ़ाना होगा. आपको बता दें कि अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में 20.1 फीसदी बढ़ी, स्थिर कीमतों पर जीडीपी अभी भी वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही की तुलना में 9.2 फीसदी कम थी, जो कि एक पूर्व-कोविड अवधि थी. बहरहाल, कोविड के दूसरी लहर के बाद, बजट पर सबकी नजर है.
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