Tokyo Paralympic Games 2021: Noida DM Suhas Yathiraj dedicates his medal to late father |Paralympic: टोक्यो में पदक हासिल करने के बाद नोएडा के डीएम Suhas Yathiraj ने किया ये नेक काम, जीत लिया सबका दिल


नई दिल्ली: पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी और नोएडा के डीएम सुहास एल यतिराज ने रविवार को एसएल 4 वर्ग में टोक्यो पैरालंपिक खेलों में जीता रजत पदक अपने दिवंगत पिता को समर्पित किया, जो हमेशा करियर के साथ-साथ यतिराज को खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते थे. यतिराज को भारत की पैरालंपिक समिति द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में यह कहते हुए सुना गया, मैं अपने दिवंगत पिता को याद करता हूं जिनकी वजह से मैं यहां खड़ा हूं और मुझे मेरा पदक मिला है. 

गौतम बौद्ध नगर के मजिस्ट्रेट हैं सुहास

कई सारे लोग हैं जिन्हें मैं धन्यवाद देता हूं, मैं उन सब के आर्शिवाद से मैं यहां पहुंच सका हूं. मैं बेहद खुश और मेरे लिए यह गर्व का क्षण है. कर्नाटक के सूरतकल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक प्राप्त कर चुके यतिराज और जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गौतम बौद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हैं, उन्होंने कहा कि यह पदक जीतना उनके लिए दुनिया है. 

‘ये पदक मेरे लिए दुनिया है’

सुहास कहा, ‘किसी भी खिलाड़ी के लिए ओलंपिक या पैरालंपिक में पदक जीतने से बड़ी कोई उपलब्धि नहीं है. इसलिए यह पदक मेरे लिए दुनिया है. यतिराज, जिनके एक टखने में खराबी है, उन्होंने कहा कि, कभी भी इस कमी के चलते अपने सपने को पूरा करने से नहीं रोका. यतिराज ने एक बार मीडिया से कहा था, ‘मैंने खुद को कभी भी दुर्बलता के साथ नहीं देखा और मैं अपने माता-पिता के लिए इस मानसिकता का ऋणी हूं. मुझे शुरू से ही कोई विशेष उपचार नहीं दिया गया था. 

माता-पिता ने किया प्रेरित

मेरे माता-पिता ने मुझे सहपाठियों के साथ खेलने के लिए प्रेरित किया और मुझे इंटर-स्कूल दौड़ में भाग लेने की अनुमति दी, मुझे भी लगता है कि ज्यादातर अच्छी चीजों की तरह, कलंक भी घर से शुरू होता है. एक उचित जीवन जीने की सारी ताकत घर से शुरू होती है. यतिराज ने 2012 में गंभीरता से बैडमिंटन खेलना शुरू किया और वे ज्यादातर काम के बाद बैडमिंटन का अभ्यास करते हैं – रोजाना रात 8.30 बजे से आधी रात तक.

स्कूल स्तर से शुरू किया बैडमिंटन

सुहास ने कहा, ‘मैंने स्कूल स्तर पर बैडमिंटन खेला और सिविल सेवा अकादमी में यह मेरा पसंदीदा टाइमपास था. मेरे कुछ सहयोगियों ने मेरे खेलने के तरीके के लिए मेरी सराहना की और सुझाव दिया कि मुझे इसे पेशेवर रूप से लेना चाहिए. मेरी पत्नी रितु ने भी ऐसा ही सोचा था, इसलिए मैंने इसे आगे बढा़या. मेरी रुचि 2012 में शुरू हुई, मेरे टखने में विकृति ने मुझे अधिक खेल खेलने और अधिक सक्रिय रहने के लिए मजबूर किया. तब मुझे पैरा बैडमिंटन के बारे में पता चला और यह वहां से फिर मैं खेलता चला गया.

 

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